भोपाल। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसे लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखकर सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली की जिम्मेदारी की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। दिग्विजय ने सवाल उठाया कि स्वास्थ्य को लेकर कमेटियों की बैठकें क्यों नहीं हुईं और 2013 से अब तक हुई भी तो क्या उनका कोई प्रभाव पड़ा।
दिग्विजय ने कहा कि डाई एथिलीन ग्लाइकोल का स्तर केवल 0.1 प्रतिशत होना चाहिए था, लेकिन जांच में यह कई गुना अधिक पाया गया। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले सालों में मिलावट के मामलों में सजा का प्रावधान हटाकर केवल जुर्माना लागू किया गया। साल 2023 में बीजेपी को फार्मा कंपनियों से 945 करोड़ का चंदा मिला, फिर भी सभी दवाइयों की टेस्टिंग क्यों नहीं हो रही।
उन्होंने यह भी बताया कि 2 सितंबर को पहले बच्चे की मौत हुई थी, लेकिन उप मुख्यमंत्री ने जांच से पहले ही क्लीन चिट दे दी। दिग्विजय ने पूछा कि बिना जांच क्लीन चिट कैसे दी जा सकती है और क्या ऐसे अधिकारियों का इस्तीफा नहीं होना चाहिए था।
बीजेपी ने इस बयान पर पलटवार किया। मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि दिग्विजय सिंह इस पर बोलें कि इंडी गठबंधन सरकार के प्रदेश में दवाइयां कैसे बन रही थीं और उस सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि हमारी SIT ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन दिग्विजय सिंह मौन हैं।

