बिहार चुनाव में NDA के दिग्गजों की गर्जना, योगी, अमित शाह और राजनाथ सिंह ने महागठबंधन पर साधा निशाना

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, सियासी दिग्गजों की आवाज़ें मैदान में गूंजने लगी हैं। बुधवार को बिहार की धरती पर एनडीए के तीन बड़े चेहरे — योगी आदित्यनाथ, अमित शाह और राजनाथ सिंह — ने अलग-अलग जिलों में रैलियाँ कर महागठबंधन पर जमकर निशाना साधा और जनता से एनडीए को एक बार फिर मौका देने की अपील की।

बक्सर में मंच संभालते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा — “मैंने तीस साल पहले बक्सर में श्रीनाथ बाबा आश्रम का दौरा किया था। उस वक्त का बिहार आतंक और अराजकता से जूझ रहा था। अपहरण एक उद्योग बन चुका था, भ्रष्टाचार चरम पर था, और लोग डर के साए में जीते थे। लेकिन आज का बिहार बदल चुका है, अब यह नया बिहार है, जो नए भारत का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।”

योगी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि इन्हीं के प्रयासों से बिहार ने विकास की राह पकड़ी है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे एनडीए को फिर से सत्ता में लाएं ताकि यह प्रगति रुक न सके।

वहीं समस्तीपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा — “यह चुनाव बिहार को एक बार फिर जंगलराज से मुक्ति दिलाने का चुनाव है।”
उन्होंने कहा कि एनडीए के सभी पांच दल — मोदी जी का नेतृत्व, नीतीश जी का अनुभव, चिराग पासवान का जोश, जीतन राम मांझी जी की तपस्या और उपेंद्र कुशवाहा जी की समझ — मिलकर बिहार के विकास का नया अध्याय लिख रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि जनता एनडीए पर भरोसा करती है क्योंकि उसने विकास, सुरक्षा और सुशासन को साकार करके दिखाया है।

बाढ़ में आयोजित सभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी महागठबंधन पर निशाना साधा और कहा — “जब राज्य में आरजेडी और कांग्रेस की सरकार थी, तब बिहार के विकास पर ब्रेक लग गया था। उस ब्रेक को तोड़ने का काम एनडीए ने किया है।”
उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार का लक्ष्य है हर युवा को रोजगार देना, बिहार को आत्मनिर्भर बनाना और कानून-व्यवस्था को मज़बूत रखना।

राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य मिलकर बिहार को एक नए मॉडल की तरफ ले जा रहे हैं — जहाँ विकास, रोज़गार और शांति साथ-साथ आगे बढ़ें।

तीनों नेताओं के जोशीले भाषणों ने चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया है। अब देखना यह है कि बिहार की जनता इस बार किसके साथ जाती है — विकास के नाम पर एनडीए के साथ या परिवर्तन के नाम पर विपक्ष के साथ।

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