पटना। बिहार में नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और उनके साथ कुल 26 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की। लेकिन शपथ के कुछ ही घंटे बाद बिहार की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। राजद ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर सवाल उठाया है कि नए मंत्रिमंडल में परिवारवाद खुलकर देखने को मिल रहा है। एनडीए सरकार के 26 मंत्रियों में से 10 ऐसे नाम शामिल हैं, जिनकी राजनीतिक विरासत काफी मजबूत है और जिन पर विरासत का सीधा फायदा मिलने की चर्चा अब जोरों पर है।
नए मंत्रिमंडल में परिवारवाद को लेकर जो सूची सामने आई है, उसमें भाजपा, जदयू, हम और रालोमो के नेता शामिल हैं। राजद ने इन नामों को सार्वजनिक करते हुए तंज कसा कि एनडीए एक तरफ परिवारवाद के खिलाफ बोलती है और दूसरी तरफ परिवारवाद वालों को ही मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा जगह देती है।
राजद ने पोस्ट में कहा— “मैं पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा, मैं पूर्व केंद्रीय मंत्री की बेटी, मैं पूर्व सांसद की बहू, मैं विधायक का बेटा…” और इस तरह 10 मंत्रियों की लिस्ट साझा की गई, जिसमें संतोष सुमन, सम्राट चौधरी, श्रेयसी सिंह, नितिन नबीन, रमा निषाद, लेसी सिंह, दीपक प्रकाश और अन्य कई नाम शामिल हैं जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि बेहद मजबूत है।
सबसे ज्यादा चर्चा दीपक प्रकाश की हो रही है, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं। बिना चुनाव लड़े ही उन्हें मंत्री बनाया गया है और जल्द ही एमएलसी भी बनाया जाएगा। इसके अलावा जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन की भी एक बार फिर मंत्री के रूप में वापसी हुई है।
राजद ने कटाक्ष करते हुए लिखा— “ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं परिवारवाद के घोर विरोधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आशीर्वाद से बिहार से परिवारवाद खत्म करूंगा।”
बिहार की सियासत में यह मुद्दा तेजी से गरम हो गया है, क्योंकि एक ओर एनडीए परिवारवाद खत्म करने की बात कहती है, वहीं दूसरी ओर आधे से ज्यादा नए मंत्री ऐसे हैं जिनकी कुर्सी उनकी राजनीतिक विरासत से ही जुड़ी हुई है। अब देखना होगा कि इस नई बहस का असर नीतीश कैबिनेट और आने वाले फैसलों पर कितना पड़ता है।

