मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक नाम लगातार सुर्खियों में है — बीना से विधायक निर्मला सप्रे। उनके खिलाफ दल-बदल कानून के तहत दायर याचिका की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में जारी है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष और विधायक सप्रे, दोनों को नोटिस जारी किए गए हैं।
याचिकाकर्ता प्रदीप राय ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि दल-बदल कानून को लेकर पहले इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसके बाद अब जबलपुर हाईकोर्ट में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कांग्रेस कार्यकर्ता की ओर से याचिका दायर की गई है। प्रदीप राय ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर वे इस कानूनी लड़ाई में शामिल हैं और यह पूरी तरह साफ है कि बीना विधायक निर्मला सप्रे अब दल-बदल कानून की जद में आ चुकी हैं।
उन्होंने कहा, “दल-बदल कानून बहुत स्पष्ट है। अगर कोई विधायक अपनी मूल पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी की गतिविधियों में शामिल होता है या प्रचार करता है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है।” राय ने आरोप लगाया कि निर्मला सप्रे ने बीजेपी के मंच पर जाकर गमछा ओढ़ा, उनके प्रचार में हिस्सा लिया, लेकिन इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने इसे जनता के साथ धोखा और लोकतंत्र का अपमान बताया।
प्रदीप राय ने आगे कहा कि “मिशन 2026 में बीना की जनता सच देख चुकी है, अब नया विधायक चुनेगी। हम कांग्रेस कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे।”
अंत में उन्होंने निर्मला सप्रे से तीखा सवाल किया — “अगर आप बीजेपी में शामिल नहीं हुईं, तो फिर राहतगढ़ में लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी का दुपट्टा क्यों ओढ़ा? उनके नेताओं के साथ मंच साझा कर प्रचार क्यों किया?”
अब सबकी निगाहें जबलपुर हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि निर्मला सप्रे की सदस्यता पर क्या फैसला आता है।

