पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर इतिहास लिखने जा रहे हैं नीतीश कुमार, जो अब 10वीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हैं। दो दशकों से राजनीति के केंद्र में सक्रिय भूमिका निभा रहे नीतीश कुमार का सफर किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं रहा। उन्होंने कभी आरजेडी के साथ, कभी बीजेपी के साथ और कभी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चलाई, लेकिन हर बार सत्ता की बागडोर उनके हाथों में ही रही। उनके राजनीतिक करियर का सबसे दिलचस्प हिस्सा यह रहा कि वे 2000 में सिर्फ सात दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने, जो उनका सबसे छोटा कार्यकाल था। पहली बार उन्होंने 3 मार्च 2000 को शपथ ली, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने पर सात दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 2005 में बीजेपी के साथ सत्ता में लौटे और 24 नवंबर को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 2010 में तीसरी बार सत्ता मिली और इस बार भी बीजेपी उनके साथ थी।
2015 में नीतीश कुमार ने कांग्रेस और आरजेडी के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार बनाई और चौथी बार मुख्यमंत्री बने। फिर 2017 में राजनीतिक समीकरण बदले और वो पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने, जब उन्होंने महागठबंधन छोड़कर फिर से एनडीए का हाथ थाम लिया। 2020 में वे सातवीं बार मुख्यमंत्री बने जब राज्यपाल फागू चौहान ने उन्हें शपथ दिलाई। इसके बाद 2022 में उन्होंने एक बार फिर बीजेपी से नाता तोड़ आरजेडी के साथ हाथ मिला लिया और आठवीं बार मुख्यमंत्री बने। 2024 में उन्होंने फिर इस्तीफा देकर आरजेडी से रिश्ता खत्म किया और एनडीए में लौट आए, जहां उन्होंने नौवीं बार शपथ लेकर नया रिकॉर्ड बनाया।
और अब, ये राजनीति के माहिर खिलाड़ी इतिहास का एक और पन्ना जोड़ने जा रहे हैं—क्योंकि नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं, जो भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ और अनोखा रिकॉर्ड होगा।

