बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में अब सिर्फ कुछ घंटे बचे हैं। 14 नवंबर की सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी और 9 बजे से रुझान आने लगेंगे। लेकिन इससे पहले आए एग्जिट पोल के नतीजों ने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया है। ज्यादातर सर्वे एजेंसियों ने एक बार फिर बिहार में एनडीए की सरकार बनने का दावा किया है।
टुडेज चाणक्य के एग्जिट पोल के मुताबिक, एनडीए को 160 सीटों के आसपास बड़ी जीत मिलती दिख रही है, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 77 सीटों पर ही सिमटना पड़ सकता है। वहीं अन्य दलों को करीब 6 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। वोट शेयर की बात करें तो एनडीए को 44 प्रतिशत और महागठबंधन को 38 प्रतिशत मत मिलने का अनुमान है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जिस ‘माय’ यानी मुस्लिम-यादव समीकरण के दम पर तेजस्वी यादव हर बार चुनावी मैदान में उतरते हैं, इस बार वही समीकरण कमजोर पड़ता दिख रहा है। टुडेज चाणक्य के जातिगत सर्वे के मुताबिक, यादव समुदाय के वोटों का बड़ा हिस्सा इस बार एनडीए की तरफ झुक गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एनडीए को ओबीसी और ईबीसी वर्ग के करीब 55 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 24 प्रतिशत वोट ही हासिल हुए।
अनुसूचित जाति वर्ग की बात करें तो बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को यहां भी भारी बढ़त मिलती दिख रही है। सर्वे के अनुसार, एससी वर्ग के 58 प्रतिशत मत एनडीए के पक्ष में गए हैं, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 26 प्रतिशत मतों से ही संतोष करना पड़ा है।
हालांकि मुस्लिम मतदाता अब भी आरजेडी के साथ मजबूती से खड़े हैं। सर्वे के मुताबिक, मुस्लिम वोट का लगभग 69 प्रतिशत हिस्सा तेजस्वी यादव के गठबंधन को मिला है, जबकि एनडीए को सिर्फ 12 प्रतिशत ही समर्थन प्राप्त हुआ।
ब्राह्मण, बनिया और राजपूत जैसे ऊंची जाति वर्गों में भी बीजेपी-जेडीयू गठबंधन का दबदबा साफ दिखा। सर्वे के अनुसार, इन वर्गों के 63 प्रतिशत वोट एनडीए को मिले हैं, जबकि महागठबंधन को महज 19 प्रतिशत पर ही संतोष करना पड़ा।
इन आंकड़ों ने बिहार की सियासत का तापमान बढ़ा दिया है। तेजस्वी यादव के लिए यह एग्जिट पोल किसी झटके से कम नहीं, क्योंकि जिन ‘अपनों’ पर उन्होंने भरोसा किया था, वही अब वोटों में बिखरते नजर आ रहे हैं। अब असली तस्वीर 14 नवंबर को साफ होगी, जब ईवीएम का बंद दरवाज़ा खुलेगा और पता चलेगा कि बिहार की गद्दी पर कौन बैठेगा — तेजस्वी या नीतीश-मोदी की जोड़ी।

