बिहार चुनाव से पहले सीएम पद को लेकर महागठबंधन में मचा घमासान — पप्पू यादव के बयान से बढ़ी हलचल

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, महागठबंधन के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। अब यह टकराव मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर और तेज़ हो गया है। एक ओर जहां RJD और कांग्रेस के नेताओं के बीच तेजस्वी यादव को लेकर सहमति और असहमति दोनों की आवाज़ें उठ रही हैं, वहीं दूसरी ओर पप्पू यादव ने भी गठबंधन के नेतृत्व पर बड़ा बयान देकर नई हलचल मचा दी है।

पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा तय करना किसी मायने में सही नहीं है। उनका कहना था कि चुनाव के बाद जिसे मुख्यमंत्री बनाना है, गठबंधन के नेता बैठकर फैसला कर सकते हैं। उन्होंने कहा — “कांग्रेस से तो मुख्यमंत्री बनने वाला नहीं है। अगर कोई बनेगा, तो वह RJD से होगा या किसी और से। यह फैसला चुनाव के बाद होना चाहिए।”
साथ ही पप्पू यादव ने कहा कि बिहार की जनता राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा करती है। अगर चुनाव राहुल गांधी के चेहरे पर लड़ा गया, तो INDIA गठबंधन की सरकार बन सकती है। उनका इशारा साफ था — साझा चेहरा नहीं, बल्कि साझा एजेंडा और एकता ही जीत की कुंजी है।

उधर, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने एक तरह से तेजस्वी यादव के नाम पर सहमति जताते हुए कहा — “लोकतंत्र में मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री संख्या बल से तय होते हैं। और RJD के पास वही बल है। तेजस्वी यादव के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।”
यह बयान कांग्रेस और RJD के बीच बढ़ते तालमेल का संकेत तो देता है, लेकिन साथ ही यह भी साफ करता है कि गठबंधन के भीतर अभी भी नेतृत्व को लेकर एक राय नहीं बन पाई है।

वहीं पप्पू यादव ने बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा — “सम्राट चौधरी अज्ञानी और नासमझ हैं। वे राहुल गांधी के सामने धूल के बराबर भी नहीं हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सम्राट चौधरी को बिहार के असली मुद्दों — जैसे पलायन, निवेश और GST पर बात करनी चाहिए, लेकिन वे अपराधियों को टिकट देने में व्यस्त हैं।

पप्पू यादव के इन बयानों से यह साफ है कि आने वाले दिनों में गठबंधन के भीतर और सत्ता पक्ष के खिलाफ दोनों स्तरों पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ होने वाला है।

उधर, सीट बंटवारे को लेकर भी महागठबंधन में मतभेद गहराते दिख रहे हैं। VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने दावा किया है कि गौराबोराम सीट से उनके उम्मीदवार संतोष सहनी ही गठबंधन के प्रत्याशी होंगे। जबकि RJD ने उसी सीट से अफजल अली को टिकट दिया है। अफजल अली ने यह तक कहा कि वे अभी भी RJD के उम्मीदवार हैं, जिससे भ्रम की स्थिति और गहरी हो गई है।

इस बीच एक और बड़ी खबर आई — लालगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार आदित्य कुमार राजा ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। माना जा रहा है कि यह कदम RJD उम्मीदवार शिवानी शुक्ला (बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी) के समर्थन में उठाया गया है। इससे संकेत मिलते हैं कि महागठबंधन मतभेदों को सुलझाने की दिशा में कोशिशें भी कर रहा है।

फिलहाल, बिहार की राजनीति में सीएम चेहरे को लेकर जारी यह खींचतान चुनावी गणित को कितना प्रभावित करेगी, यह तो वक्त ही बताएगा — लेकिन इतना तय है कि महागठबंधन के भीतर का यह असंतुलन चुनावी मैदान को और ज्यादा दिलचस्प बना देगा।

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