ग्वालियर। मध्य प्रदेश के चर्चित पीएमटी फर्जीवाड़ा मामले में आखिरकार बड़ा फैसला आ गया है। विशेष न्यायालय ने आरोपी डॉक्टर मोहम्मद जावेद को 5 साल की सजा सुनाई है। यह वही जावेद है जो पिछले 10 साल से फरार था और हाल ही में 3 नवंबर को सीबीआई ने उसे उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से गिरफ्तार किया था।
जांच में खुलासा हुआ कि साल 2009 में गुना में आयोजित पीएमटी परीक्षा में मोहम्मद जावेद ने एक उम्मीदवार हेमंत सिंह की जगह परीक्षा दी थी। यानी उसने किसी और की जगह पेपर देकर मेडिकल एडमिशन में धोखाधड़ी की थी। पकड़े जाने के बाद वह 2014 से फरार हो गया और अब जाकर सीबीआई के हत्थे चढ़ा।
दरअसल, यह पूरा मामला मध्य प्रदेश पीएमटी घोटाले से जुड़ा है, जो उस समय पूरे देश में सुर्खियों में रहा था। इस घोटाले में असली उम्मीदवारों की जगह दूसरे लोग परीक्षा देते थे, जिन्हें ‘सॉल्वर गैंग’ कहा जाता था। और जावेद इस गैंग का एक बड़ा हिस्सा था — जो पैसे लेकर किसी और की जगह परीक्षा देने का काम करता था।
सीबीआई ने इस मामले में जांच तेज करते हुए कई आरोपियों को गिरफ्तार किया, और अब अदालत ने साफ संदेश दे दिया है कि परीक्षा में धोखाधड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
विशेष अदालत ने कहा कि डॉक्टर बनने के लिए फर्जीवाड़ा करने वालों को समाज में कोई जगह नहीं दी जा सकती। अब जब मोहम्मद जावेद को 5 साल की सजा सुनाई गई है, तो माना जा रहा है कि इस केस से जुड़े और भी नाम जल्द सामने आएंगे।
सीबीआई की इस कार्रवाई ने एक बार फिर याद दिलाया है — मेहनत की जगह शॉर्टकट अपनाने वालों का अंजाम आखिरकार जेल की सलाखें ही होती हैं।

