बिहार चुनाव का रंग अब पूरी तरह चढ़ चुका है और सासाराम-नोखा का राजनीतिक माहौल दिनों-दिन गरमाता जा रहा है। आज नोखा विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवार और बिहार सरकार की पूर्व मंत्री अनीता देवी ने अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह चुनाव सिर्फ विधानसभा की सीटों का नहीं, बल्कि बिहार में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की लड़ाई है। उन्होंने साफ कहा — “नीतीश कुमार की सरकार अब जाने वाली है, जनता बदलाव के मूड में है।”
अनीता देवी ने भरोसे के साथ कहा कि वे इस बार अपनी हैट्रिक पूरी करने जा रही हैं। उन्होंने कहा, “नोखा की जनता ने मुझे दो बार विधायक बनाया है और अब तीसरी बार भी जीत का आशीर्वाद देगी। मैं अपने क्षेत्र की जनता का विश्वास कभी टूटने नहीं दूंगी।”
इधर, सासाराम विधानसभा सीट पर भी सियासत ने नया मोड़ ले लिया है। जदयू के पूर्व विधायक डॉ. अशोक कुमार कुशवाहा ने पार्टी से बगावत कर दी है और अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से मैदान में उतर गए हैं। डॉ. अशोक पहले दो बार राजद से विधायक रह चुके हैं और पिछले चुनाव में उन्होंने जदयू का दामन थामा था।
लेकिन इस बार सासाराम सीट जदयू ने उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के खाते में दे दी और वहां से उनकी पत्नी स्नेहलता को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इससे नाराज होकर अशोक कुमार ने खुलकर मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने नामांकन के बाद उपेंद्र कुशवाहा पर तीखा हमला करते हुए कहा — “स्नेहलता बाहरी हैं, सासाराम की जनता उन्हें वोट नहीं देगी। यह सीट स्थानीय लोगों की है, बाहरियों के लिए नहीं।”
अब इस सियासी बगावत के बाद सासाराम की लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है। एक तरफ राजद की पुरानी दावेदार अनीता देवी अपनी हैट्रिक की ओर बढ़ रही हैं, तो दूसरी ओर बसपा से उतरे डॉ. अशोक कुमार ने जदयू के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
बिहार की राजनीति में यह मुकाबला अब सिर्फ उम्मीदवारों का नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा और पकड़ की जंग बन चुका है।

