मध्य प्रदेश में SIR को लेकर सियासत लगातार तीखी होती जा रही है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक बार फिर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि धार जिले में आदिवासी वोटरों के नाम काटने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने दावा किया कि धार कलेक्टर ने प्रशासन को मौखिक आदेश देकर SIR फॉर्म रोकने को कहा, ताकि मजदूरी के लिए बाहर गए आदिवासी मतदाताओं को “शिफ्टेड वोटर” बताकर उनकी पहचान खत्म की जा सके। सिंघार ने कहा कि ये लोग मजबूरी में गुजरात और दूसरे राज्यों में काम करने गए हैं, वे सिर्फ SIR फॉर्म भरने वापस नहीं आएंगे। ऐसे में यह पूरा मामला सिर्फ एक जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में 50 लाख वोटरों के नाम हटाने की कोशिश की जा रही है, जिस पर चुनाव आयोग को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर, धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने इन आरोपों का खंडन करते हुए साफ कहा कि ऐसा कोई मौखिक आदेश जारी नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि SIR फॉर्म देने, भरवाने और जमा कराने की पूरी प्रक्रिया निर्वाचन आयोग की तय गाइडलाइन के अनुसार चल रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई वोटर घर पर मौजूद नहीं है और बाहर काम पर गया है, तो वह लौटकर निर्धारित समय सीमा में फॉर्म भर सकता है। और अगर वह समय पर नहीं लौट पाता, तो उसके सगे-संबंधी भी यह फॉर्म जमा कर सकते हैं।

