भावी वैद्यों में मानवीय दृष्टिकोण स्थापित करने का कार्य करें प्राध्यापक, आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला में बोले आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार

भोपाल: श्री साईं ग्रामोत्थान समिति, मानसरोवर समूह के मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल काॅलेज, हाॅस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, श्री साईं इंस्टीट्यूट आॅफ आयुर्वेदिक रिसर्च एंड मेडिसिन और विश्व आयुर्वेद परिषद् द्वारा फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला का आयोजन किया गया। मानसरोवर मेडिकल कॉलेज हिनोतिया आलम प्रांगण में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में देश भर से आए करीब 300 प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया।

कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश के आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार, विशिष्ट अतिथि विश्व आयुर्वेद परिषद के संरक्षक वैद्य गोपाल दास मेहता जी, विश्व आयुर्वेद परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ महेश कुमार व्यास जी, प्रमुख वक्ता महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी आॅफ हैल्थ साइंस के बोर्ड आॅफ रिसर्च के सदस्य डाॅ. किरण टवलारे और आईजीपी आयुर्वेद काॅलेज, नागपुर की प्रोफेसर डाॅ. कल्पना टवलारे सहित मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलगुरु डॉ. ए. एस. यादव, मानसरोवर समूह के आयुर्वेद संचालक डॉ. बाबुल ताम्रकार, और मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग सिंह राजपूत ने दीप प्रज्वलित कर किया। मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश के आयुष मंत्री माननीय इंदर सिंह परमार जी देश भर से एकत्रित हुए करीब 300 प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि 2047 तक भारत को विश्व गुरु बनाने में आयुर्वेद का योगदान सबसे महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की कैबिनेट में आने वाले समय में प्रदेश में विश्व स्तरीय आयुर्वेद महाविद्यालय खोले जाने का निर्णय लिया गया है। और इसके लिए चिकित्सकों और प्राध्यापक के पद सृजन भी होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में मध्य प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा प्रथम स्थान पर रहेगी और इसमें हमारे प्राध्यापकों और चिकित्सकों का समर्पण सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् के मंत्र को आयुर्वेद की पैथी के माध्यम से विश्व तक पहुंचाएं। इससे पहले मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग सिंह राजपूत ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
इसी क्रम में विश्व आयुर्वेद परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ महेश कुमार व्यास जी ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि सही चिकित्सा तभी संभव है जब चिकित्सकों और प्राध्यापकों को सही निर्देशन मिले। प्रमुख वक्ता डॉ. किरण टवलारे ने योग्यता उत्कृष्टता के लिए मुख्य मानचित्रण प्रस्तुत किया। वहीं द्वितीय सेशन में डॉ. कल्पना टवलारे जी ने खेती और उद्देश्यों की दक्षता पर प्रकाश डाला। अंत में मानसरोवर समूह के आयुर्वेद संचालक डॉ. बाबुल ताम्रकार ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस दौरान श्री साईं इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक रिसर्च एंड मेडिसिन की प्राचार्य डॉ. मनीषा राठी, फैकल्टी ऑफ आयुर्वेदा के प्राचार्य डॉ. श्रीकांत पटेल, मानसरोवर समूह के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर सचिन जैन सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक गण उपस्थित रहे।

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