पटना। बिहार की सियासत इन दिनों चुनावी रंग में रंगी हुई है, और हर दिन कोई न कोई बयान नई सुर्खी बन रहा है। ताज़ा मामला बेगूसराय का है, जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सभा के बाद उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई — जिसमें वो तालाब किनारे मछली पकड़ते नज़र आए। ये तस्वीर इतनी चर्चा में आई कि सियासी गलियारों में बहस छिड़ गई।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए तंज कसा कि “कभी भारत की निंदा करते हैं, कभी प्रधानमंत्री मोदी की मां पर अपशब्द बोलते हैं, और कभी छठ पर्व को ड्रामा बताते हैं — ऐसे आदमी से देशभक्ति की उम्मीद नहीं की जा सकती। राहुल गांधी सिर्फ मछली पकड़ सकते हैं, और कुछ नहीं।” मांझी ने कहा कि बिहार की जनता अब समझ चुकी है कि कौन दिखावे की राजनीति कर रहा है और कौन जनता के बीच सच में काम कर रहा है।
इधर, राजद के भीतर भी माहौल कुछ शांत नहीं है। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने एक बार फिर अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव पर हमला बोला है। तेजस्वी ने हाल ही में वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनी, तो “हर घर नौकरी” योजना लागू की जाएगी। इस पर तेजप्रताप ने तंज कसते हुए कहा — “पहले सरकार तो बना लो तेजस्वी, कहने से क्या होता है? जीत के दिखाओ, फिर योजनाएं बनाना।”
तेजप्रताप ने पत्रकारों से बातचीत में ये भी कहा कि तेजस्वी जननायक नहीं हैं। उन्होंने कहा — “जननायक कर्पूरी ठाकुर थे, लोहिया जी थे। तेजस्वी तो पिता के बूते पर हैं, जब अपने दम पर कुछ करेंगे तब उन्हें जननायक कहेंगे।” तेजप्रताप ने बताया कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र महुआ में लगातार जनता से जुड़ रहे हैं और वहां इंजीनियरिंग कॉलेज और क्रिकेट स्टेडियम बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं, ताकि भविष्य में वहां अंतरराष्ट्रीय मैच तक हो सकें।
वहीं, वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी नीतीश कुमार और एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “बिहार में अब सुशासन सिर्फ नाम का रह गया है। आज पूरी सरकार दिल्ली से रिमोट कंट्रोल पर चल रही है। अधिकारी खुद को जनता से ऊपर समझने लगे हैं और मुख्यमंत्री अब पहले जैसे सक्रिय नहीं रहे।” सहनी ने दावा किया कि बिहार की जनता अब बदलाव के मूड में है और 2025 का चुनाव इसका सबूत होगा।
राहुल गांधी की मछली पकड़ने वाली तस्वीर से शुरू हुआ यह मामूली सा विवाद अब बिहार की पूरी सियासत को हिला चुका है। मांझी से लेकर सहनी तक, हर नेता एक-दूसरे पर जुबानी वार कर रहे हैं, और राजद परिवार के भीतर भी तनाव खुलकर सामने आ गया है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, बिहार की राजनीति का हर चेहरा और हर बयान जनता के बीच नई कहानी बनकर फैल रहा है। अब देखना ये है कि इस सियासी तूफान के बीच किसके हाथ सत्ता की मछली लगती है — और कौन रह जाता है किनारे खाली जाल के साथ।

