Rishikesh Temple : विष पीने के बाद शांत और ठंडी जगह की खोज में जहां पहुंचे भोलेनाथ, सावन में शिवभक्तों की पहली पसंद

Neelkanth mahadev temple in rishikesh/ऋषिकेश. सावन का महीना भगवान शिव की उपासना का सबसे पवित्र समय माना जाता है. उत्तर भारत ‘बोल बम’ के जयकारों से गूंज उठता है. लाखों शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल लाकर नंगे पांव शिवधामों में जल अर्पित करते हैं. इन धामों में सबसे प्रसिद्ध है नीलकंठ महादेव मंदिर. यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 32 किलोमीटर दूर एक ऊंची पहाड़ी पर है. सावन में हर साल यहां लाखों कांवड़िये पहुंचते हैं और भोलेनाथ को जल अर्पित करते हैं. Local 18 से इस मंदिर के पुजारी जगदीश प्रपन्नाचार्य बताते हैं कि नीलकंठ महादेव मंदिर आस्था, भक्ति और प्रकृति का संगम है.

60 हजार साल तक तपस्या

पुजारी जगदीश प्रपन्नाचार्य के अनुसार, समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ा यह स्थान शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि जब समुद्र मंथन से विष निकला तो भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए उसे पी लिया था. विषपान के बाद वह शांत और ठंडी जगह की खोज में थे. तभी उन्होंने मणिकूट पर्वत पर आकर 60 हजार वर्षों तक तपस्या की. बाद में इसी स्थान पर नीलकंठ महादेव मंदिर की स्थापना हुई.

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