मोहनिया में बदला चुनावी खेल — श्वेता सुमन का नामांकन रद्द, अब आरजेडी ने निर्दलीय रवि पासवान को दिया समर्थन

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोहनिया सीट का मुकाबला अचानक रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है। आरजेडी की उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होते ही पार्टी ने बड़ा दांव खेला है। आरजेडी ने ऐलान किया है कि वह अब निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान का समर्थन करेगी। इस फैसले ने पूरे इलाके के राजनीतिक समीकरण को पलटकर रख दिया है।

रवि पासवान कोई नया चेहरा नहीं हैं — वे सासाराम के पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे हैं। छेदी पासवान 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं, जबकि इससे पहले वे जेडीयू से जुड़कर मोहनिया से दो बार विधायक भी बन चुके हैं। रवि पासवान ने 2015 में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा था, हालांकि उस वक्त उन्हें जीत नहीं मिली थी। अब आरजेडी के समर्थन के साथ वे दोबारा मैदान में हैं, और उनका सीधा मुकाबला होगा बीजेपी उम्मीदवार संगीता कुमारी से।

मोहनिया विधानसभा सीट सासाराम लोकसभा क्षेत्र में आती है और यह अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है। यहां करीब 3.9 लाख की आबादी में दलित मतदाता लगभग 25 प्रतिशत हैं — यानी यह समुदाय जीत-हार का निर्णायक फैक्टर है। इस सीट पर बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू — सभी का मजबूत जनाधार रहा है।

अगर पिछले दो चुनावों की बात करें तो 2020 में आरजेडी की संगीता देवी ने बीजेपी के निरंजन राम को हराया था, जबकि 2015 में बीजेपी को जीत मिली थी। यानी मतदाताओं का रुझान लगातार बदलता रहा है, और यही वजह है कि यह सीट किसी एक दल की स्थायी पकड़ में नहीं आ सकी है।

वहीं, नामांकन रद्द होने के बाद श्वेता सुमन ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के दबाव में उनका नामांकन खारिज किया गया — “जब बीजेपी उम्मीदवार का भी जाति प्रमाणपत्र लगा था, तो फिर मेरा क्यों रद्द किया गया? यह लोकतंत्र के साथ अन्याय है। बीजेपी को मुझसे और आरजेडी से डर लग रहा है।”

अब मोहनिया का चुनावी मैदान पूरी तरह गर्म है। एक ओर बीजेपी की संगीता कुमारी हैं, तो दूसरी ओर आरजेडी समर्थित निर्दलीय रवि पासवान। दोनों के बीच यह जंग सिर्फ दलों की नहीं, बल्कि जनाधार और प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है।

मोहनिया की यह टक्कर अब सिर्फ एक विधानसभा सीट की नहीं रही — बल्कि पूरे बिहार की सियासत का सबसे चर्चित चुनावी रणक्षेत्र बन चुकी है।

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