“मेरी लड़ाई पद की नहीं, व्यवस्था के खिलाफ है” — RJD की बागी नेता रितु जायसवाल का बड़ा बयान, बिहार की सियासत में मचा तूफ़ान

पटना। बिहार की राजनीति में इस वक्त एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की बागी नेता और पार्टी की महिला प्रकोष्ठ की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने खुले तौर पर अपने ही नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनके तेवरों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।

रितु जायसवाल ने साफ शब्दों में कहा कि उनकी लड़ाई किसी पद या टिकट के लिए नहीं है, बल्कि उस व्यवस्था के खिलाफ है, जहाँ “रात के अंधेरे में टिकट बांटे जाते हैं और मेहनती कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जाती है।”

उन्होंने कहा — “राजद ने मुझे पहचान नहीं दी, मेरी पहचान मेरे काम से बनी है। 2020 में जब मुझे परिहार से टिकट मिला था, तब भी मैं समाजसेवा के लिए जानी जाती थी। मुझे राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार (2019) और चैंपियंस ऑफ चेंज (2018) जैसे राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके थे। मेरी पहचान किसी पार्टी से नहीं, जनता के भरोसे और अपने कार्य से बनी है।”

रितु जायसवाल ने पार्टी के अंदरूनी हालात पर भी बड़ा आरोप लगाया। उनका कहना है कि आज पार्टी में कुछ दलाल हावी हैं, जो टिकटों का सौदा करते हैं। उन्होंने बताया कि 2023 में उन्हें महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष बनाया गया था, और उन्होंने दो साल की मेहनत से बिहार में महिलाओं का मजबूत संगठन खड़ा किया।

उन्होंने कहा — “तेजस्वी यादव और लालू यादव ने खुद मुझे शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन बाद में पैसे और प्रभाव के खेल में टिकट बदल दिए गए। जो ईमानदारी से काम करता है, उसे किनारे कर दिया जाता है।”

बागी रितु जायसवाल ने यह भी कहा कि अगर परिहार सीट से किसी सच्चे कार्यकर्ता को टिकट मिलता, तो वे खुद पीछे हट जातीं। लेकिन टिकट उस व्यक्ति को दिया गया जिसने 2020 में पार्टी से गद्दारी की थी। “मैं बेलसंड नहीं जा सकती थी, जहाँ मेरे कारण किसी ईमानदार विधायक का टिकट काटा जाए,” उन्होंने स्पष्ट कहा।

उन्होंने जोर देकर कहा — “निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन जरूरी था। मेरी लड़ाई किसी व्यक्ति या पार्टी से नहीं, बल्कि उस सड़ी हुई व्यवस्था से है जहाँ ईमानदारी की कोई कीमत नहीं। यह लड़ाई परिहार के उन लोगों की है, जो 25 साल से विकास का इंतज़ार कर रहे हैं।”

बिहार की सियासत में रितु जायसवाल का यह बयान अब गर्म चर्चा का विषय बन चुका है। उनके तेवर बताते हैं कि वे किसी दबाव में झुकने वाली नहीं हैं। जनता के बीच उनकी साख और स्पष्टवादिता ने चुनावी मैदान में एक नई हलचल पैदा कर दी है।

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