रन फॉर यूनिटी: मोदी सरकार ने सरदार पटेल के सपनों को साकार किया, सीएम डॉ मोहन बोले- झंडे के साथ डंडे को भी मजबूत कर रहे

भोपाल। भोपाल में आज का दिन एकता और गर्व का प्रतीक बन गया — क्योंकि सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर “रन फॉर यूनिटी” का आयोजन पूरे जोश और उत्साह के साथ किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल समेत कई मंत्री, विधायक और कार्यकर्ता इस मौके पर मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सरदार पटेल के योगदान को याद करते हुए कहा — “यह कार्यक्रम भारत के उस महानायक को समर्पित है, जिसने इस देश को एक सूत्र में पिरोया। सरदार वल्लभभाई पटेल ने 562 रियासतों को मिलाकर एक भारत की नींव रखी। उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत किया और सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य करवाया। उनके काम हमें आज भी प्रेरित करते हैं।”

सीएम ने आगे कहा कि इस बार मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस ऐतिहासिक रूप से मनाया जाएगा। तीन दिवसीय कार्यक्रमों में “सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य” जैसी भव्य प्रस्तुतियाँ होंगी, जो प्रदेश की गौरवशाली संस्कृति और इतिहास को फिर से जीवंत करेंगी। “मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस इस बार जनता के उत्सव का पर्व होगा,” उन्होंने कहा।

अपने भाषण में डॉ. मोहन यादव ने सरदार पटेल की दृढ़ता और दूरदृष्टि को याद करते हुए कहा — “समाधान की योजना बनाना आसान है, लेकिन उसे लागू करना कठिन होता है। जब देश चुनौतियों से घिरा था — जब सीमाएँ लहूलुहान थीं, ट्रेनें लाशों से भरी थीं — तब सरदार पटेल जैसे लौह पुरुष ने सबकुछ संभाला। उन्होंने हर कठिनाई का डटकर सामना किया और नेहरू की गलतियों को सुधारने की पूरी कोशिश की।”

मोहन यादव ने आगे कहा कि आज मोदी सरकार वही काम कर रही है, जो सरदार पटेल ने अपने जीवन में शुरू किया था। “मोदी जी ने सरदार पटेल के सपनों को साकार किया है — अयोध्या में मंदिर बिना हिंसा के बन गया, तीन तलाक का कलंक मिट गया, धारा 370 हट गई और पाकिस्तान को घर में घुसकर जवाब दिया गया। हम सरदार के अधूरे सपनों को पूरा कर रहे हैं।”

अपने तीखे अंदाज़ में मुख्यमंत्री ने कहा — “झंडा कितना भी सुंदर हो, अगर डंडा कमजोर है तो मज़ा नहीं आता। मोदी जी ने न सिर्फ झंडे को ऊँचा किया है, बल्कि डंडे को भी मजबूत बनाया है। देश अब झुकता नहीं, जवाब देता है।”

भोपाल में गूँजते नारों और जोश से भरे माहौल में आज सरदार पटेल की जयंती सिर्फ एक स्मृति नहीं रही — बल्कि एक संदेश बन गई कि “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का सपना अब साकार हो रहा है।

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