रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच चुके हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं एयरपोर्ट पर जाकर उनका स्वागत करते हुए दिखाई दिए। यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय राजनीति बड़े बदलावों से गुजर रही है और दुनिया के कई शक्तिशाली देश इस मीटिंग पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।
फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह पुतिन की पहली भारत यात्रा है, इसलिए यह दौरा रणनीतिक रूप से और भी अधिक महत्वपूर्ण बन गया है। रूस और भारत लंबे समय से मजबूत साझेदार रहे हैं और मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल में दोनों देशों को कई साझा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस मुलाकात के दौरान मोदी और पुतिन रक्षा सहयोग, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, ऊर्जा सुरक्षा, कच्चे तेल की लंबी अवधि की आपूर्ति, व्यापार संतुलन, भारतीय निर्यात बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा करने वाले हैं। पुतिन के साथ आए रूसी व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल से भी साफ संकेत मिल रहा है कि दोनों देश आर्थिक रिश्तों को नए स्तर पर ले जाने की तैयारी में हैं।
अमेरिका और भारत के बीच हालिया तनाव भी इस दौरे को और महत्वपूर्ण बना देता है। अमेरिका भारत पर रूस से तेल आयात घटाने का दबाव बना रहा है, साथ ही नई टैरिफ नीतियों और ऊर्जा मामलों में खींचतान भी बढ़ रही है। लेकिन भारत ने साफ किया है कि राष्ट्रीय हितों के आधार पर ही फैसले लिए जाएंगे। ऐसे माहौल में पुतिन की यह यात्रा भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को मजबूती से दुनिया के सामने रखती है।
इस मुलाकात पर सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि चीन भी पैनी नजर रखे हुए है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र की बदलती रणनीतिक परिस्थितियों में भारत-रूस साझेदारी की मजबूती कई देशों के लिए महत्वपूर्ण संकेत छोड़ती है।
पुतिन का यह भारत दौरा केवल कूटनीति की औपचारिकता नहीं, बल्कि बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा देने वाला अवसर है। आने वाले वर्षों में भारत-रूस साझेदारी किस दिशा में आगे बढ़ेगी, इसका बड़ा संकेत इस ऐतिहासिक मुलाकात से मिलने वाला है।

