पटना। बिहार चुनाव में मिली करारी हार के बाद राजद की ओर से तेजस्वी यादव के आवास पर सोमवार को एक बड़ी समीक्षा बैठक बुलाई गई, जिसमें जीते और हारे हुए सभी विधायकों के साथ कई वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की उम्मीद थी। लेकिन इसी बीच सबसे चौंकाने वाली खबर सामने आई कि राजद के सांसद और तेजस्वी के बेहद करीबी संजय यादव इस बैठक में पहुंचे ही नहीं। रोहिणी आचार्य विवाद सामने आने के बाद से ही वह पार्टी की गतिविधियों से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं।
हाल ही में रोहिणी आचार्य ने पटना एयरपोर्ट पर घर छोड़कर दिल्ली जाते समय कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर संजय यादव का नाम लिया था। इसी विवाद के बाद से संजय यादव लो प्रोफाइल में हैं और अब समीक्षा बैठक से दूरी बनाना कई राजनीतिक संकेत दे रहा है।
यह पहली बार नहीं है जब संजय यादव को लेकर लालू परिवार में विवाद हुआ हो। चुनाव प्रचार के दौरान भी रोहिणी ने उनके खिलाफ बयान दिया था और तब संजय को सफाई देनी पड़ी थी। उस समय उन्होंने पार्टी और परिवार के लोगों को सोशल मीडिया पर अनफॉलो भी कर दिया था। यह पूरा विवाद तब उठा जब प्रचार बस में संजय यादव फ्रंट सीट पर बैठे थे। तेज प्रताप यादव भी कई बार पार्टी में “जयचंद” होने की बात कह चुके हैं और माना जाता है कि उनका इशारा अक्सर संजय यादव की तरफ ही होता है।
संजय यादव कौन हैं? हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही गांव के रहने वाले संजय यादव की और तेजस्वी की दोस्ती दिल्ली में क्रिकेट के मैदान से शुरू हुई थी। लालू यादव के जेल जाने के बाद संजय ने तेजस्वी के सबसे भरोसेमंद रणनीतिकार और सलाहकार की भूमिका निभाई। राजनीति की हर अहम रणनीति में उनका योगदान माना जाता है और उन्हें तेजस्वी का “आंख-कान” कहा जाता है।
अब संजय यादव का समीक्षा बैठक से दूर रहना कई सवाल खड़े कर रहा है और आने वाले समय में ये विवाद राजद की अंदरूनी राजनीति को कितना प्रभावित करेगा, यह देखने वाली बात होगी।

