Bihar News: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। वैशाली के लालगंज के बाहुबली और पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला को पटना की बेउर जेल से भागलपुर केंद्रीय कारा में शिफ्ट करने का आदेश जारी हुआ है। बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में सजा काट रहे मुन्ना शुक्ला के इस तबादले ने पूरे शुक्ला परिवार को झकझोर दिया है — और अब इस पर उनकी बेटी शिवानी शुक्ला खुलकर सामने आ गई हैं।
शिवानी शुक्ला, जो इस बार राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव मैदान में हैं, उन्होंने इस कदम को राजनीतिक साजिश करार दिया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा — “बिना किसी ठोस कारण के मेरे पिता को भागलपुर जेल भेजा जा रहा है। यह फैसला पूरी तरह से मनमाना और साजिश के तहत लिया गया है।”
शिवानी ने कहा कि उनके पिता के लाखों समर्थक हैं, फिर भी उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने की कोशिश की जा रही है। उनकी आवाज़ में गुस्सा और दर्द दोनों थे जब उन्होंने कहा — “मैं वकील हूं, कानून जानती हूं। सजा के बाद भी किसी कैदी के साथ अमानवीय व्यवहार नहीं किया जा सकता। अगर मेरे पिता को एक खरोंच भी आई, तो मैं सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करूंगी।”
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के समय पर ऐसा कदम उठाकर उनके परिवार को डराने और राजनीतिक रूप से कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
वहीं, मुन्ना शुक्ला की पत्नी और पूर्व विधायक अनु शुक्ला भी बेहद भावुक नजर आईं। उन्होंने कहा — “हमें अचानक सूचना मिली कि मेरे पति को भागलपुर जेल भेजा जा रहा है। आखिर क्यों? बेउर जेल में क्या कमी थी? यह सब एक सोची-समझी साजिश के तहत किया जा रहा है। लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं, जनता हमारे साथ है और हमें न्याय मिलेगा।”
जेल प्रशासन की कार्रवाई पर अब कई सवाल खड़े हो गए हैं। समर्थकों में नाराजगी है और स्थानीय लोग कह रहे हैं कि चुनावी माहौल में लिया गया यह फैसला राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित लगता है।
बता दें कि मुन्ना शुक्ला बिहार की राजनीति का बड़ा नाम रहे हैं। लालगंज विधानसभा से तीन बार विधायक रह चुके हैं और अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व और बाहुबली छवि के लिए जाने जाते हैं। बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में उन्हें अदालत ने सजा सुनाई थी, जिसके बाद वे बेउर जेल में बंद थे।
अब जब उन्हें अचानक भागलपुर जेल भेजने का आदेश जारी हुआ है, तो यह मामला पूरी तरह राजनीतिक तूल पकड़ चुका है। विपक्ष इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रहा है, जबकि प्रशासन की ओर से अब तक इस कदम की कोई आधिकारिक वजह सामने नहीं आई है।
अब सवाल ये है — क्या मुन्ना शुक्ला का तबादला सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला है, या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक चाल छिपी है?

