तेज प्रताप का तेजस्वी पर सबसे बड़ा हमला! कहा– ‘25 से 5 सीट में देर नहीं लगेगी… मुझे तो मेरे ही घर से निकाल दिया

बिहार की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। चुनाव में मिली करारी हार और परिवार के भीतर बढ़ती खींचतान ने राजद को लगातार विवादों में बनाए रखा है। इसी बीच तेजस्वी यादव के बयान—जिसमें उन्होंने कहा था कि सब लोग बोल रहे हैं कि इसको निकाल दो, उसको निकाल दो—अब भारी पड़ता दिख रहा है। इस टिप्पणी पर उनके बड़े भाई और जजद प्रमुख तेज प्रताप यादव ने तीखा पलटवार किया है।

तेज प्रताप ने कहा कि आज लोग पूछ रहे हैं कि सबको निकालोगे तो आखिर पार्टी में बचेगा कौन? उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्हें पार्टी से बाहर किया गया था, तब किसी ने यह नहीं सोचा कि इससे कितना बड़ा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि उनकी आवाज़ दबाई गई, उन्हें रोका गया, लेकिन फिर भी उन्होंने पूरी निष्ठा से पार्टी की सेवा की। पर जिस दिन वह बाहर आए और नई RJD की सच्चाई जनता के सामने रखी, उसी दिन समझ आ गया कि पार्टी ने क्या खो दिया है।

तेज प्रताप ने आंकड़े गिनाते हुए कहा कि 2015 में 80 सीट, 2020 में 75 सीट और 2025 में सिर्फ 25 सीटें रह गईं। उन्होंने दावा किया कि ये गिरावट वही नहीं बता रहे, बल्कि जनता बता रही है कि गलती कहाँ हुई। तेज प्रताप ने यह भी कहा कि पहले उन्हें निकाला गया, फिर उनकी बहन रोहिणी को, और अब पूरा बिहार इस विडंबना पर हंस रहा है। राजनीति में सम्मान खोया जाए तो इतिहास बदल जाता है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगली बार 25 से सीधे 5 सीटों पर आने में भी ज्यादा देर नहीं लगेगी। अगर वह बीते चुनाव में पूरे बिहार घूम लेते तो शायद RJD पहले ही पांच पर आ जाती। उन्होंने यह भी कहा कि जिन 44 सीटों पर वे लड़े, वहां RJD को केवल पांच सीटें ही मिल सकीं, जो स्थिति की गंभीरता को दिखाता है।

तेज प्रताप ने कहा कि आज पार्टी लालू जी की विचारधारा वाली RJD नहीं रह गई, बल्कि चापलूसों और जयचंदों के हाथों में कैद होकर रह गई है। जहां सिद्धांत की जगह चाटुकार और समर्पण की जगह षड्यंत्र हो, वहां सवाल भी खोखले लगने लगते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी किसी को नहीं निकाला, बल्कि उन्हें और उनके ही घर के लोगों को उनसे दूर किया गया। लेकिन जब जनता ने उन्हें सुना तो साफ हो गया कि राजनीति कुर्सी से नहीं, चरित्र से चलती है।

तेज प्रताप का कहना है कि बिहार आज यह नहीं पूछ रहा कि पार्टी में कौन रहेगा—बिहार यह पूछ रहा है कि सच के साथ कौन खड़ा है। और इसका जवाब वही देगा जिसके पास जनता का भरोसा है, न कि चापलूसों की भीड़।

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