भारत की दो दिन की यात्रा पर आए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार, 5 दिसंबर को राजघाट पहुंचे, जहाँ उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। बापू को नमन करने और समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद पुतिन ने विज़िटर बुक में अपने विचार लिखे। रूसी भाषा में लिखे संदेश में उन्होंने गांधीजी को आधुनिक भारत का संस्थापक बताते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने विश्व शांति के उद्देश्य में अमिट योगदान दिया है। स्वतंत्रता, नैतिकता और मानवता पर उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे।
पुतिन ने लिखा कि गांधी जी ने अपने समय में ही एक नए, अधिक न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था—न्यू वर्ल्ड ऑर्डर—का अनुमान लगा लिया था, और आज वही विश्व व्यवस्था आकार ले रही है। उन्होंने टॉलस्टॉय को लिखे गांधीजी के पत्रों का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनमें दुनिया के भविष्य, स्वतंत्रता और मानवता की गहराई से चर्चा होती है, और यही वे सिद्धांत हैं जिन पर आज भारत और रूस अंतरराष्ट्रीय मंच पर साथ खड़े हैं।
राजघाट पहुंचने से पहले राष्ट्रपति पुतिन को राष्ट्रपति भवन में 21 तोपों की सलामी दी गई। यह उनकी भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के एजेंडे का हिस्सा था। राजघाट पर लिखे उनके संदेश ने बहुपक्षीयता और वैश्विक शांति पर ज़ोर दिया, जो गांधी की अहिंसा और शांति की विरासत से गहराई से मेल खाता है।
राजघाट के बाद पुतिन सीधे हैदराबाद हाउस पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त बयान जारी किया गया। इस दौरान पीएम मोदी ने साफ कहा कि भारत न्यूट्रल नहीं है—भारत हमेशा शांति के पक्ष में है। उन्होंने यह भी कहा कि आज का समय युद्ध का नहीं, बल्कि शांति का युग है। पीएम मोदी ने पुतिन को एक दूरदर्शी नेता बताते हुए दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों पर ज़ोर दिया।

