बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने मधुबनी में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए विरोधी दलों पर करारा हमला बोला और राज्य के भविष्य को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि बिहार के करीब 60 फीसदी लोग बदलाव चाहते हैं, और यह बदलाव ऐसा होना चाहिए जो विकास की रफ्तार को नई दिशा दे।
प्रशांत किशोर ने कहा — “अब फैसला जनता के हाथ में है। या तो बिहार फिर उसी पुराने जंगलराज की ओर लौटेगा, या फिर पेपर लीक जैसी समस्याओं में उलझा रहेगा। जनता को तय करना है कि वो किस दिशा में जाना चाहती है।”
जन सुराज के उम्मीदवार अनिल मिश्रा के आवास पर हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीके ने स्पष्ट कहा कि उनका लक्ष्य साफ है — हर बच्चे के कंधे पर स्कूल का बस्ता हो, मजदूरी का बोझ नहीं। उन्होंने अपील की कि राज्य के भविष्य के लिए शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए, क्योंकि यही स्थायी बदलाव की नींव रख सकती है।
छठ पर्व के मौके पर बिहार लौटने वाली ट्रेनों की स्थिति पर चिंता जताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा — “लोग बैल-बकरी की तरह ट्रेनों में ठूंस-ठूंसकर यात्रा कर रहे हैं। यह नज़ारा बिहार की बदहाल व्यवस्था को उजागर करता है।” उन्होंने कहा कि बिहार की हालत देखकर यह साफ दिखता है कि व्यवस्था में सुधार की बेहद ज़रूरत है।
पीके ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा — “जैसे ही विरोधी दलों को यह पता चला कि जनता जन सुराज के विचारों को पसंद कर रही है, उनकी बौखलाहट बढ़ गई है। अब जनता 30 साल से चले आ रहे राजनीतिक दलों से ऊब चुकी है और बदलाव के मूड में है।”
उन्होंने जनता को चेतावनी देते हुए कहा — “अगर बिहार की जनता अब भी सचेत नहीं हुई और फिर उन्हीं दलों को वोट दिया जो जाति, धर्म और भाषा के नाम पर राजनीति करते हैं, तो पलायन कभी नहीं रुकेगा। हमारे बच्चे फिर से नौकरी के लिए प्रदेशों में भटकेंगे और बिहार खाली होता जाएगा।”
प्रशांत किशोर ने आगे कहा — “हमें ऐसा बिहार चाहिए जहाँ लोग बाहर न जाएं, बल्कि दूसरे प्रदेशों से लोग यहां काम करने आएं। अगर सही फैसला नहीं लिया गया, तो हमारे युवा हमेशा 10-12 हजार की नौकरी के लिए घर-परिवार से दूर रहने को मजबूर रहेंगे।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सहरसा से नई ट्रेन शुरू करने की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने तंज कसा — “प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार से लोग बाहर जाएंगे, लेकिन यह नहीं कहा कि ऐसी ट्रेन भी चलाएँगे जिससे गुजरात और आंध्र प्रदेश के लोग बिहार में काम करने आएं।”
अंत में उन्होंने कहा कि जन सुराज का लक्ष्य सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि सोच में क्रांति लाना है — एक ऐसा बिहार बनाना जहाँ युवाओं के सपने पलायन नहीं, प्रगति की राह पर पूरे हों।

