पटना। बिहार की सियासत इन दिनों जबरदस्त उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। नेताओं की बयानबाज़ी, गठबंधन की उठापटक और मुलाकातों की हलचल ने पूरे राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। इसी बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने पटना से एक ऐसा बयान दे दिया, जिसने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया।
भूपेश बघेल ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हालिया मुलाकात महज़ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि उसके पीछे एक बड़ा सियासी मकसद छिपा है। उन्होंने तीखा हमला बोलते हुए कहा — “अमित शाह जी नीतीश कुमार को मनाने नहीं, धमकाने गए थे। वे बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा हाल करना चाहते हैं।”
दरअसल, हाल ही में अमित शाह बिहार दौरे पर थे, जहाँ उन्होंने पटना में नीतीश कुमार से बंद कमरे में लंबी मुलाकात की। इस बैठक के बाद से राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं — क्या यह चुनावी रणनीति की मीटिंग थी या सत्ता समीकरणों की कोई नई कहानी लिखी जा रही है?
भूपेश बघेल यहीं नहीं रुके। उन्होंने भाजपा पर भी सीधा वार किया और कहा — “अगर एनडीए में सबकुछ ठीक है, तो भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने से क्यों डर रही है? आखिर दिक्कत क्या है?”
उनका इशारा साफ था — एनडीए के भीतर सब कुछ उतना सहज नहीं जितना दिखाया जा रहा है।
दूसरी ओर, जब उनसे पूछा गया कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा, तो उन्होंने कहा — “हम लोगों ने कभी नहीं कहा कि कोई एक चेहरा तय है। हमारा गठबंधन सामूहिक नेतृत्व पर आधारित है, हम सब मिलकर फैसला करेंगे।”
यानी विपक्ष इस बार नेतृत्व के बजाय एकजुटता का संदेश देना चाहता है।
सीट शेयरिंग पर भी बघेल ने साफ कहा कि सब कुछ तय हो चुका है, बस घोषणा बाकी है — “हर बात सार्वजनिक करना जरूरी नहीं होता, समय आने पर सब साफ हो जाएगा।”
भूपेश बघेल के इन बयानों से यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि महागठबंधन अब भाजपा और एनडीए पर सीधा प्रहार करने की रणनीति पर चल पड़ा है। शाह-नीतीश मुलाकात को लेकर उठाए गए सवालों ने बिहार की सियासत को और गरमा दिया है।
अब देखने वाली बात होगी कि अमित शाह और नीतीश कुमार की इस मुलाकात के बाद एनडीए में क्या बदलाव देखने को मिलते हैं —
क्योंकि बिहार की सियासत में इस वक्त हर कदम, हर बयान और हर मुस्कान… चुनावी संकेत बन चुकी है।

