इन लोगों ने भोजपुरी इंडस्ट्री को बेच दिया…’, रवि किशन ने खेसारी पर बोला हमला, कांग्रेस ने किया पलटवार

बिहार चुनाव के बीच भोजपुरी इंडस्ट्री का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है — और इस बार आमने-सामने हैं दो दिग्गज अभिनेता, रवि किशन और खेसारी लाल यादव।
गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन ने छपरा से आरजेडी प्रत्याशी खेसारी लाल यादव पर बिना नाम लिए तीखा हमला बोला और कहा — “इन लोगों ने भोजपुरी को बेच दिया!”

रवि किशन का आरोप था कि जिन लोगों ने भोजपुरी सिनेमा में सनातन का नाम लेकर काम किया, उन्होंने ही इस इंडस्ट्री को बदनाम कर दिया। उन्होंने कहा, “भोजपुरी सिनेमा कभी बिहार और यूपी की शान था, जहां मेरी फिल्में सिल्वर जुबली करती थीं। लेकिन आज हालत ये है कि सिनेमाघरों में दर्शक नहीं हैं। ये सब किसकी वजह से हुआ? किसने भोजपुरी को बदनाम किया? अब इन लोगों को जवाब देना होगा।”

उन्होंने आगे कहा कि भोजपुरी इंडस्ट्री को उन्होंने राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया, लेकिन जैसे ही वो राजनीति में गए, इंडस्ट्री को गलत हाथों में सौंप दिया गया। “हमने मशाल सौंपी थी, लेकिन इन लोगों ने उसे बेच डाला,” रवि किशन ने कहा।

उनके इस बयान पर कांग्रेस ने पलटवार किया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अंकित सिंह यादव ने कहा — “रवि किशन जैसे कलाकार जो खुद भोजपुरी फिल्मों में दोहरे अर्थ वाले संवाद और सस्ती मनोरंजन संस्कृति को बढ़ावा देते रहे, आज वही दूसरों को संस्कार सिखा रहे हैं, ये दोहरापन है।”

उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिनेमा किसी एक व्यक्ति की बपौती नहीं है, ये पूरे बिहार और पूर्वांचल की अस्मिता का प्रतीक है। यादव ने कहा — “भोजपुरी को खत्म करने वाले नहीं, बल्कि उसे राजनीति के मंच पर लाकर बदनाम करने वाले असली दोषी हैं।”

उन्होंने खेसारी लाल यादव का बचाव करते हुए कहा कि खेसारी आज उस युवा पीढ़ी की आवाज हैं जो मेहनत और संघर्ष से यहां तक पहुंची है। उन पर धर्मविरोधी होने का आरोप लगाना न सिर्फ गलत है, बल्कि पूरे भोजपुरी कलाकार समुदाय का अपमान है।

कांग्रेस नेता ने भाजपा पर भी वार किया और कहा कि भाजपा ने भोजपुरी संस्कृति को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। “जो लोग संस्कृति की बात करते हैं, उन्हें पहले अपने शब्दों में शालीनता और व्यवहार में मर्यादा लानी चाहिए,” उन्होंने कहा।

अंत में कांग्रेस ने साफ संदेश दिया कि वह भोजपुरी कलाकारों, साहित्यकारों और सांस्कृतिक कर्मियों के साथ खड़ी है — और भोजपुरी भाषा व कला को किसी राजनीतिक स्वार्थ का साधन नहीं बनने देगी।

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