भोपाल। मध्य प्रदेश में बाघों की गिनती का दूसरा चरण अब शुरू होने जा रहा है, और इस बार प्रक्रिया पूरी तरह पेपरलेस होगी। नवंबर के दूसरे पखवाड़े से शुरू होने वाली इस गणना में पहली बार प्रदेश के नए टाइगर रिजर्व – रातापानी, रानी दुर्गावती नौरादेही और माधव टाइगर रिजर्व – को शामिल किया गया है।
यह एक ऐतिहासिक पल है क्योंकि पहली बार सेंचुरी, संरक्षित और सामान्य वन क्षेत्रों को भी इस गणना का हिस्सा बनाया जा रहा है। पहले बाघों की गणना फॉर्म भरकर की जाती थी, लेकिन अब वन विभाग ने इसे पूरी तरह डिजिटल कर दिया है।
इस बार वनकर्मी मौके से ही एम-स्ट्राइप एप के नए वर्जन पर डेटा दर्ज करेंगे। बाघ के मल, खरोंच, पगमार्क या शिकार के अवशेष जैसे हर साक्ष्य को तुरंत जीपीएस लोकेशन के साथ एप में अपलोड किया जाएगा।
इस आधुनिक प्रणाली के जरिए बाघों की सटीक गणना करना आसान होगा और डेटा की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
मध्य प्रदेश, जिसे ‘टाइगर स्टेट’ कहा जाता है, अब टेक्नोलॉजी के सहारे वन्यजीव संरक्षण के एक नए युग में कदम रख रहा है।

