भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में ‘राज्य स्तरीय कार्यशाला और वॉटरशेड सम्मेलन’ का शुभारंभ किया, जिसका थीम था—‘आत्मनिर्भर पंचायत, समृद्ध मध्यप्रदेश’। तीन दिन चलने वाले इस सम्मेलन में 2000 से अधिक जनप्रतिनिधि, अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं। कार्यक्रम में जल संरक्षण में उत्कृष्ट काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। सीएम मोहन यादव ने सभी की सराहना करते हुए कहा कि आज प्यासा कुएं के पास नहीं आया है, बल्कि कुआं प्यासे के पास आया है—यानी सरकार खुद पंचायतों तक मदद लेकर पहुंच रही है।
सीएम मोहन यादव ने कहा कि शासन की असली ताकत गांवों में बसती है। गांधी जी की सोच भी यही थी कि भारत की आत्मा ग्रामीण अंचल में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन मॉडल ने देश को नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि अमृतकाल 2047 कैसा होगा, इसकी कल्पना करते हुए सरकार पंचायतों को अधिक अधिकार और संसाधन देने पर फोकस कर रही है ताकि वे विकास की धुरी बन सकें। स्वशासी व्यवस्थाओं की परंपरा आदिकाल से रही है, इसलिए पंचायतों को सक्षम बनाना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पंचायतों की हर जरूरत पूरी करेगी। तालाब, पोखर, बावड़ी जैसी परंपराओं को तीन महीने तक सतत अभियान चलाकर संजोया गया है, और उसी का परिणाम है कि प्रदेश को कई पुरस्कार मिले। उन्होंने बताया कि सरपंचों को 25 लाख रुपए तक खर्च करने का अधिकार दिया गया है। आगे इस अधिकार को और बढ़ाया जाएगा, क्योंकि पानी की हर बूंद महत्वपूर्ण है और जल संरक्षण जीवन का आधार है।

कार्यक्रम में सीएम ने घोषणा की कि जिला और जनपद पंचायतों के उपाध्यक्षों द्वारा किए जाने वाले निरीक्षण और सुझावों को अब लिपिबद्ध किया जाएगा और उन पर कार्य भी होगा। पंचायतों को पीने के पानी प्रबंधन का अधिकार भी दिया गया है। निवेश, निवास और विकास के लिए मास्टर प्लान बनाने की शुरुआत विदिशा जिले से हो चुकी है। किसानों को 3 से 5 हॉर्स पावर के सोलर पंप पर 90 फीसदी तक अनुदान मिलेगा और पंचायतों को इस योजना को भी आगे बढ़ाना होगा।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि यह आयोजन त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को मजबूत करने के लिए है। ज्यादा से ज्यादा समन्वय और सेमी- अर्बन डेवलपमेंट जैसे विषयों पर मंथन बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि केवल पैसा आत्मनिर्भरता का पैमाना नहीं है—गांव तय कर लें तो नशा और अपराध की जगह ही नहीं बचेगी। सीएम यादव ने हर पंचायत में दिसंबर 2026 तक श्मशान घाट की सुविधा पूरी करने का संकल्प भी दोहराया।
अंत में, उत्कृष्ट कार्यों के लिए खंडवा, रायसेन और बालाघाट के जिला कलेक्टरों को ‘समग्र श्रेष्ठ कार्य’ श्रेणी में सम्मानित किया गया, जबकि ‘खेत तालाब’ श्रेणी में बालाघाट, अनूपपुर और कई सहयोगी संगठनों को पुरस्कार मिले।
यह सम्मेलन पंचायतों के भविष्य की मजबूत नींव रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बन गया है।

