मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में लगातार गर्मागर्मी बनी रही। प्रश्नकाल के दौरान उस समय अफरा-तफरी मच गई जब कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना की अचानक तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टरों को तुरंत सदन में बुलाया गया, जांच के बाद मंत्री खुद पैदल बाहर निकले और अपनी गाड़ी में बैठकर अस्पताल के लिए रवाना हो गए। हैरानी की बात यह रही कि मंत्री के जाने के बाद ही विधानसभा की एंबुलेंस पहुंची। इस कारण सदन की कार्यवाही करीब 10 मिनट के लिए रोकनी पड़ी।
इधर किसानों के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। कांग्रेस विधायकों ने तख्तियां लेकर गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया और सरकार पर किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उनके हाथों में पोस्टर थे जिन पर लिखा था— “किसानों की चिड़िया बन खेत चुग रही सरकार”, “किसान के नाम पर सत्ता टिकाई, अब उसी किसान को भावांतर में डुबाई” और “मिट्टी में मिला सरकारी सपना, कर्ज में डूबना किसान अपना।” जैसे ही सदन शुरू हुआ, कांग्रेस ने किसानों की समस्याओं को लेकर जोरदार शोर-शराबा किया।
इसी दौरान कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम ने डिंडोरी जिले में आदिवासियों के पलायन का मुद्दा उठाया और गलियारे में बैठकर विरोध जताया। स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर ने मामले को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के माध्यम से उठाने को कहा।
विधानसभा अध्यक्ष के आह्वान पर सदन ने भोपाल गैस त्रासदी के मृतकों को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सदन के नए प्रमुख सचिव अरविंद शर्मा का परिचय कराया गया, जो लोकसभा सचिवालय में 34 साल की सेवा दे चुके हैं।
उधर बालाघाट के उद्योग विभाग द्वारा आवंटित प्लॉट को लेकर भी सदन में नाराज़गी देखने को मिली। विधायक अनुभा मुंजारे ने आरोप लगाया कि एक ही प्लॉट चार-चार लोगों को आवंटित कर दिया गया है। मंत्री चैतन्य कश्यप ने जवाब दिया कि सभी आवंटन नियमों के तहत और पारदर्शिता के साथ हुए हैं। अनुभा मुंजारे ने अपने पास प्रमाण होने की बात कही, जिसके बाद मंत्री ने मुद्दे पर अलग से बात करने पर सहमति जताई।

