उत्तर प्रदेश को जल्द ही नया भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मिलने वाला है और इस रेस में पंकज चौधरी का नाम सबसे आगे चल रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक हाईकमान ने उन पर भरोसा जताया है और उन्हें यह अहम जिम्मेदारी सौंपे जाने की पूरी संभावना है। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने पंकज चौधरी के चेहरे पर दांव लगाया है, ताकि समाजवादी पार्टी के पीडीए फार्मूले को कमजोर किया जा सके।
पंकज चौधरी का जन्म 20 नवंबर 1964 को गोरखपुर जिले के एक प्रभावशाली जमींदार परिवार में हुआ था। उनके पिता भगवती प्रसाद चौधरी स्थानीय स्तर पर सम्मानित जमींदार थे, जबकि उनकी मां उज्ज्वल चौधरी राजनीति में सक्रिय रहीं और महाराजगंज जिला पंचायत अध्यक्ष भी चुनी गईं। राजनीतिक माहौल में पले-बढ़े पंकज चौधरी ने कम उम्र में ही सार्वजनिक जीवन में कदम रख दिया था।
उन्होंने 1989 में गोरखपुर नगर निगम से पार्षद का चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। उसी दौर में महाराजगंज गोरखपुर से अलग होकर नया जिला बना और इसके बाद पंकज चौधरी ने महराजगंज को अपनी राजनीति का केंद्र बना लिया। 1991 में उन्होंने पहली बार महराजगंज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद वे लगातार इस सीट से जीतते चले गए और केवल 1999 और 2009 में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
पंकज चौधरी सात बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और 2021 से लगातार केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। संगठन और संसद दोनों स्तरों पर उनका अनुभव काफी लंबा और मजबूत माना जाता है। ओबीसी वर्ग, खासकर कुर्मी समाज में उनकी मजबूत पकड़ है और यही वजह है कि उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी की कमान सौंपे जाने की चर्चा जोरों पर है। पार्टी को उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में संगठन को नई धार मिलेगी और आने वाले चुनावों में बीजेपी को इसका सीधा फायदा होगा।

