उत्तरप्रदेश भाजपा में पंचायत चुनाव से पहले नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े लगातार संगठन और सरकार के शीर्ष नेताओं से चर्चा कर इस पद के लिए जातिगत समीकरण साधने की कोशिश में लगे हैं।
पिछले एक साल में कई नाम चर्चा में रहे हैं। कभी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम सामने आता है, तो कभी राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा, तो कभी प्रियंका रावत जैसे नेताओं की चर्चा होती है। भाजपा हर बार अपने फैसलों से राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा देती है। इस बार भी पार्टी बेहद सोच-समझकर कदम बढ़ा रही है।
महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण भाजपा की ही देन है और अब प्रदेश अध्यक्ष के पद पर महिला को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। भाजपा एक राष्ट्रीय दल है और ज्यादातर प्रदेशों में पुरुष ही प्रदेश अध्यक्ष हैं, मणिपुर को छोड़कर, जहां शारदा देवी प्रदेश अध्यक्ष हैं। ऐसे में यूपी में भी पार्टी महिला नेता को कमान सौंप सकती है ताकि एक नया संदेश प्रदेश और संगठन को दिया जा सके।
महिलाओं के नामों में प्रियंका रावत, रीता बहुगुणा जोशी, और राज्यसभा सांसद सरिता यादव जैसे दिग्गज शामिल हैं, जिन पर पार्टी के अंदर भी चर्चा जोरों पर है। यूपी भाजपा में इस बार नेतृत्व के लिए जातिगत और लिंग आधारित समीकरण को लेकर गहन रणनीति बनाई जा रही है ताकि 27 जिलों में भाजपा को सफलता दिलाई जा सके।

