मध्य प्रदेश के सलकनपुर आश्रम में शरद पूर्णिमा महोत्सव के दौरान एक ऐसा घटनाक्रम हुआ जिसने कार्यक्रम के माहौल को कुछ देर के लिए गंभीर बना दिया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अनुपस्थिति को लेकर आश्रम के उत्तम स्वामी महाराज ने मंच से नाराज़गी जता दी। जब मुख्यमंत्री तय समय पर कार्यक्रम में नहीं पहुंचे, तो स्वामी महाराज ने सार्वजनिक रूप से कहा — “जिसके पास सेवा प्रकल्प के लिए दो घंटे नहीं हैं, वो हमारे मंच पर नहीं चाहिए। चाहे कोई भी हो, हम राजनीति नहीं, भगवान की नीति पर चलने वाले लोग हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को स्वयं निमंत्रण नहीं दिया था, बल्कि यह निमंत्रण तपन भौमिक की ओर से गया था। इसलिए जब मुख्यमंत्री कार्यक्रम में नहीं आए, तो उन्होंने उन्हें ऑनलाइन जोड़ने की भी आवश्यकता नहीं समझी। स्वामी महाराज की यह टिप्पणी कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को चौंका गई और माहौल अचानक गंभीर हो गया।
स्थिति को संभालने के लिए कार्यक्रम पदाधिकारियों ने सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा जाए। कुछ समय बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव वीडियो लिंक से कार्यक्रम में जुड़े और सार्वजनिक रूप से उत्तम स्वामी महाराज से माफी मांगी। उन्होंने साफ कहा कि गलती उनकी नहीं, बल्कि निमंत्रण देने वाले तपन भौमिक की थी, जिन्हें उन्होंने पहले ही न आने की सूचना दे दी थी।
मुख्यमंत्री ने विनम्रता के साथ कहा कि वे स्वामी जी के बच्चे हैं और आगे भी यदि ज़रूरत पड़ी तो माफी मांगते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी जी की नाराज़गी उनके लिए आशीर्वाद के समान है। माफी के बाद उन्होंने स्वामी जी से जयकारे भी कराए और कार्यक्रम का माहौल फिर से भावनाओं और श्रद्धा से भर उठा।
शरद पूर्णिमा महोत्सव तीन दिन तक चला, जिसमें जैविक कृषि और नर्मदा सेवा के लिए कई पुरस्कार भी वितरित किए गए। स्वर्गीय प्रभाकर राव केलकर स्मृति में गोवंश आधारित जैविक कृषि पुरस्कार और स्वर्गीय भगवत शरण माथुर स्मृति में उत्कृष्ट नर्मदा सेवा पुरस्कार दिए गए। मंच पर उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, मंत्री करण सिंह वर्मा, गौतम टेटवाल, सांसद दर्शन सिंह चौधरी, तपन भौमिक समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद थे। नर्मदा परिक्रमा वासियों के लिए भोजन और ठहरने की सेवा व्यवस्था की भी सराहना की गई।
मुख्यमंत्री ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि जैविक खेती आज की आवश्यकता है, क्योंकि यह धरती को जीवंत रखती है और आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ जीवन देती है। वहीं, उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि सेवा हमारी संस्कृति की आत्मा है और समर्पण सेवा समिति के प्रयास समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं। अन्य वक्ताओं ने भी जैविक खाद और संस्कारवान पीढ़ी निर्माण पर ज़ोर दिया।
सलकनपुर आश्रम में हुआ यह छोटा सा विवाद और मुख्यमंत्री की तत्पर माफी ने एक बार फिर दिखा दिया कि परंपरा, सम्मान और संवाद के ज़रिए किसी भी स्थिति को सहजता से संभाला जा सकता है।
