पश्चिम बंगाल में SIR यानी स्पेशल रिवीजन फॉर्म भरने की प्रक्रिया 11 दिसंबर को पूरी हो गई है, और अब चुनाव आयोग अगले सात दिनों में संशोधित मतदाता सूची जारी करेगा। लेकिन इसी बीच बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सुर्खियों में हैं, क्योंकि उन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उन्होंने SIR फॉर्म नहीं भरा।
ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने तल्ख अंदाज़ में कहा— “मैं तीन बार की केंद्रीय मंत्री रही हूं, सात बार सांसद रही हूं और तीन बार मुख्यमंत्री बनी हूं। अब मुझे साबित करना होगा कि मैं नागरिक हूं या नहीं? इससे तो जमीन पर नाक रगड़ना बेहतर है।”
कृष्णनगर की एक रैली में उन्होंने बीजेपी और केंद्र सरकार पर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल की मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करने की कोशिश कर रही है। ममता ने दावा किया कि अमित शाह सीधे तौर पर लगभग डेढ़ करोड़ नाम वोटर लिस्ट से हटाने की कोशिशों को गाइड कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा— अगर SIR प्रक्रिया में एक भी योग्य मतदाता का नाम हटाया गया, तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिन लोगों ने SIR प्रक्रिया में अपने दादा-दादी के दस्तावेज जमा किए, उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा और उनके नाम हटाने की योजना बनाई जा रही है। उनका कहना है कि यह कदम लोगों को परेशान करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
इस बीच चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री सहित सभी संवैधानिक पदधारकों को ‘मार्क्ड इलेक्टर’ श्रेणी में रखा जाता है। इसलिए उन्हें आम नागरिकों की तरह SIR फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होती। इस श्रेणी में प्रधानमंत्री, सभी मुख्यमंत्री और अन्य संवैधानिक पद शामिल हैं, जिन्हें कानूनी रूप से यह फॉर्म जमा करने से छूट मिली है।
अब देखना यह है कि इस राजनीतिक तनाव के बीच नई मतदाता सूची जारी होने के बाद विवाद कम होता है या और ज्यादा भड़कता है।

